zojila tunnel nitin gadkari.जम्मू और कश्मीर का क्षेत्र भारत के सबसे दुर्गम और कठिन भौगोलिक इलाकों में से एक माना जाता है। यहाँ की पर्वतीय स्थिति और प्राकृतिक बाधाओं के कारण सड़क और परिवहन नेटवर्क हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है। लेकिन हाल के वर्षों में, सरकार द्वारा शुरू किए गए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने इस क्षेत्र में एक नया युग शुरू किया है। खासकर सुरंगों के निर्माण में किए गए व्यापक प्रयासों ने जम्मू-कश्मीर के विकास में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं।
zojila tunnel nitin gadkari|J&K सुरंग निर्माण का क्रांतिकारी बदलाव 2024
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सुरंग निर्माण: एक नई शुरुआत
जम्मू-कश्मीर में पहले से बहुत कम सुरंगें थीं, लेकिन मौजूदा सरकार के कार्यकाल में इस दिशा में व्यापक काम किया गया है। वर्तमान समय में, 27 सुरंगों का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें से 10 सुरंगें पूरी हो चुकी हैं, जबकि 17 सुरंगों पर काम चल रहा है। इसके अलावा, 22 और सुरंगों के निर्माण की योजना बनाई गई है। इन सुरंगों के निर्माण से न केवल जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों को लाभ होगा, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन, व्यापार और सामरिक दृष्टिकोण से भी और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा।
मनाली और अटल सुरंग का उदाहरण
प्रधानमंत्री ने अपने एक भाषण में हिमाचल प्रदेश के मनाली से रोहतांग पास की दूरी का जिक्र किया। पहले मनाली से रोहतांग पास तक की यात्रा में लगभग साढ़े तीन घंटे का समय लगता था, लेकिन अब अटल सुरंग के निर्माण के बाद, यह दूरी महज दो मिनट में तय की जा सकती है। अटल सुरंग का निर्माण भारतीय बुनियादी ढांचे की उपलब्धियों में से एक मानी जाती है, जो दुर्गम इलाकों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
अटल सुरंग की तरह ही, जम्मू-कश्मीर में भी कई सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है जो पर्वतीय क्षेत्रों की बाधाओं को पार करने में मददगार साबित होंगी। यह सुरंगें जम्मू और कश्मीर को लेह और लद्दाख से जोड़ेंगी, जिससे इन इलाकों में यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।
लेह-लद्दाख से मनाली के बीच नई सड़कें और सुरंगें
जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में सरकार लेह-लद्दाख से मनाली तक एक शानदार सड़क का निर्माण कर रही है, जिसमें लगभग आठ सुरंगें शामिल हैं। इन सुरंगों के पूरा होने के बाद, लेह और लद्दाख की यात्रा काफी सुगम हो जाएगी। इसके अलावा, सरकार ने कारगिल के नीचे जो जिलेट सुरंग का निर्माण शुरू कर दिया है, जो एशिया की सबसे लंबी सुरंगों में से एक होगी। यह सुरंग 11.6 किलोमीटर लंबी होगी और इससे यात्रा का समय काफी घट जाएगा।
ज़ मोर सुरंग और श्रीनगर-जम्मू का सीधा संपर्क
इसके अतिरिक्त, सरकार ने ज़ मोर सुरंग का भी निर्माण किया है, जिसके माध्यम से सीधे श्रीनगर पहुँचा जा सकेगा। श्रीनगर से जम्मू के बीच यात्रा को सुगम बनाने के लिए 18 सुरंगों के निर्माण की योजना बनाई गई है। इनमें से कई सुरंगों का निर्माण कार्य या तो शुरू हो चुका है या पूरा होने के कगार पर है। इन सुरंगों के पूरा हो जाने के बाद, दिल्ली से श्रीनगर की दूरी मात्र 8 घंटे में तय की जा सकेगी।
दिल्ली से जम्मू और कटरा तक सीधी कनेक्टिविटी
सरकार की ओर से एक और प्रमुख परियोजना दिल्ली-कटरा हाईवे का निर्माण है, जो यात्रा को तेज और आसान बनाएगा। इस हाईवे के जरिए दिल्ली से कटरा की यात्रा अब सिर्फ 6 घंटे में पूरी हो सकेगी। यह हाईवे कटरा तक सीधा पहुँचाने के साथ-साथ अमृतसर और अन्य प्रमुख शहरों को भी जोड़ेगा, जिससे यात्रियों को लाभ होगा।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाईवे: देश को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण धुरी
इसके अलावा, दिल्ली से मुंबई तक का सफर अब महज 12 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाईवे देश के दो प्रमुख मेट्रोपॉलिटन शहरों को जोड़ने वाली एक बड़ी परियोजना है, जो भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभाएगी। यह हाईवे देश के विभिन्न हिस्सों को एक साथ जोड़ते हुए सूरत, नासिक, अहमदनगर, सोलापुर, कर्नूल और अन्य प्रमुख शहरों से होते हुए दक्षिण भारत के हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, कोच्चि, त्रिवेंद्रम और कन्याकुमारी तक पहुंचेगा।
इस हाईवे से न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि इससे आर्थिक गतिविधियों में भी बढ़ोतरी होगी। इससे व्यापारियों को अपने माल को देश के विभिन्न हिस्सों में तेजी से पहुँचाने में मदद मिलेगी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।
यात्रा दूरी में कमी और आर्थिक लाभ
दिल्ली से चेन्नई की दूरी इस नई परियोजना से 320 किलोमीटर तक घट जाएगी, जिससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। इससे सड़क यातायात का दबाव भी कम होगा और देश के सभी हिस्सों को तेज और सुगम कनेक्टिविटी मिल सकेगी।
सुरंगों और सड़कों से जम्मू-कश्मीर के विकास को बल
सुरंगों के निर्माण और सड़क नेटवर्क के विस्तार से जम्मू-कश्मीर के विकास को नया आयाम मिलेगा। इससे न केवल क्षेत्र की पर्यटन और व्यापारिक संभावनाओं में वृद्धि होगी, बल्कि आम नागरिकों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। सुरंगों से दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे वहाँ के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा और अन्य बुनियादी जरूरतों तक पहुँच आसान होगी।
सामरिक दृष्टिकोण से सुरंगों का महत्व
सुरंगों का निर्माण केवल परिवहन के लिए ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में सुरंगों के निर्माण से भारतीय सेना को भी महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। यह सुरंगें सेना की त्वरित तैनाती और सामरिक आपूर्ति के लिए अहम साबित होंगी, खासकर सर्दियों के मौसम में जब भारी बर्फबारी के कारण सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में सुरंगों और सड़कों के निर्माण से क्षेत्र की भौगोलिक बाधाओं को पार करने में बड़ी मदद मिलेगी। यह परियोजनाएँ न केवल यात्रा को सुगम बनाएंगी, बल्कि स्थानीय निवासियों, व्यापारियों और सैनिकों के लिए भी राहत प्रदान करेंगी। जम्मू-कश्मीर की परिवहन व्यवस्था में यह बदलाव निश्चित रूप से इस क्षेत्र को विकास की नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा और इसे भारत के अन्य हिस्सों से और भी करीब से जोड़ देगा।