Doller 15 Billion Deal Crisis.जापान की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी, निप्पॉन स्टील, को अगस्त की शुरुआत में ही यह संकेत मिल गया था कि उसका यू.एस. स्टील के अधिग्रहण का 15 बिलियन डॉलर का सौदा खतरे में है। इस डील को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा सुरक्षा कारणों से रोका जा सकता है।
Doller 15 Billion Deal Crisis |Japanese Nippon Steel -Digital Newsz
जापानी स्टील कंपनी की 15 बिलियन डॉलर की डील पर अमेरिकी राजनीति का साया
1 अगस्त को, अमेरिका की शक्तिशाली कमेटी ऑन फॉरेन इन्वेस्टमेंट इन द यूनाइटेड स्टेट्स (CFIUS) ने निप्पॉन स्टील और यू.एस. स्टील के प्रतिनिधियों को एक संभावित राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के बारे में चेताया। सीएफआईयूएस का मानना था कि इस सौदे से अमेरिकी स्टील उत्पादन क्षमता में कमी आ सकती है, जिससे परिवहन और बुनियादी ढांचा जैसी महत्वपूर्ण उद्योगों में व्यवधान आ सकता है।
इस चेतावनी के बावजूद, जापानी कंपनी को उम्मीद थी कि वह सौदे के व्यावसायिक महत्व को समझाकर इसे मंजूरी दिला सकती है। लेकिन 31 अगस्त को सीएफआईयूएस ने दोनों कंपनियों को 17 पन्नों का पत्र भेजा जिसमें सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की गईं और जवाब देने के लिए सिर्फ एक कारोबारी दिन का समय दिया गया।
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निप्पॉन स्टील ने अपने बयान में कहा, “हमें विश्वास है कि यह लेनदेन किसी भी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता को जन्म नहीं देता।” वहीं, यू.एस. स्टील ने कहा कि जापानी कंपनी के बिना आवश्यक निवेश करना संभव नहीं है और यह सौदा भविष्य में यू.एस. स्टील के विकास के लिए सबसे बेहतर रास्ता है।
इस बीच, निप्पॉन स्टील के अधिकारी टाकाहिरो मोरी ने अगस्त में एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें विश्वास है कि सौदा प्रगति पर है और उन्होंने अमेरिकी मजदूर यूनियन के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाने के लिए कई बैठकें की हैं।
हालांकि, यूनियन के नेताओं और अमेरिकी राजनेताओं के विरोध के बीच, यह सौदा एक राजनीतिक हॉट पोटैटो बन गया है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक लाभ के तर्कों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा है।
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यह पूरा प्रकरण बताता है कि कैसे निप्पॉन स्टील जैसी बड़ी कंपनियों को राजनीतिक माहौल और नीतिगत दावों को सही तरीके से समझना कितना महत्वपूर्ण है।
Praveen Kumar Ki Swarnim Chhalaang Se Bharat Ka Tiranga Shaan Se Laharaya
जापानी स्टील कंपनी की 15 बिलियन डॉलर की डील पर अमेरिकी राजनीति का साया
वॉशिंगटन/टोक्यो, 10 सितंबर (रायटर्स) – जापान की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी, निप्पॉन स्टील, का 15 बिलियन डॉलर का यू.एस. स्टील के अधिग्रहण का सौदा राजनीतिक बाधाओं में फंस गया है। अगस्त की शुरुआत में ही कंपनी को यह संकेत मिल गया था कि यह डील अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर रोकी जा सकती है।
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CFIUS की चेतावनी:
1 अगस्त को, अमेरिका की शक्तिशाली कमेटी ऑन फॉरेन इन्वेस्टमेंट इन द यूनाइटेड स्टेट्स (CFIUS) ने निप्पॉन स्टील और यू.एस. स्टील के अधिकारियों को बताया कि यह सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। इस समिति का मानना था कि जापानी कंपनी के अधिग्रहण से अमेरिकी स्टील उत्पादन क्षमता में कमी आ सकती है, जिससे परिवहन और बुनियादी ढांचा जैसी महत्वपूर्ण उद्योगों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। यह वार्ता पहले कभी सामने नहीं आई थी और इससे निप्पॉन स्टील को समय रहते स्थिति की गंभीरता समझनी चाहिए थी।
राजनीतिक और श्रमिक यूनियन का विरोध:
निप्पॉन स्टील पहले से ही लेबर यूनियन और अमेरिकी राजनेताओं के विरोध का सामना कर रही थी, विशेष रूप से नवंबर 5 के चुनाव से पहले। जापानी कंपनी ने उम्मीद जताई थी कि वह धैर्यपूर्वक अपने बिजनेस फायदों को समझाकर सौदे को मंजूरी दिला सकेगी। कंपनी के प्रतिनिधियों ने 19 अगस्त को सीएफआईयूएस के साथ एक बैठक में आर्थिक महत्व पर जोर दिया और महसूस किया कि उनकी बात सुनी गई है। लेकिन, यूनियन के विरोध ने सौदे को और पेचीदा बना दिया।
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राजनीतिक गलती और प्रतिक्रिया:
यूनियन ने इस डील पर कड़ा विरोध जताया, खासकर इसलिए क्योंकि सौदे की घोषणा से पहले निप्पॉन स्टील ने यूनियन से संपर्क करने की कोशिश की थी। यूनियन नेता डेविड मैक्कल ने सार्वजनिक रूप से कंपनियों को आरोपित किया कि उन्होंने श्रमिकों के हितों को नजरअंदाज किया है। यह भी देखा गया कि जब जापानी प्रधानमंत्री किशिदा अप्रैल में वॉशिंगटन दौरे पर आए थे, तब इस सौदे पर चर्चा एक तरह से कमरे में मौजूद ‘हाथी’ जैसी थी, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था।
राजनीतिक ‘हॉट पोटैटो’
इस डील का राजनीतिक माहौल में बड़ा असर देखा गया, और इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और उनके प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रम्प दोनों ने आपत्ति जताई। जैसे-जैसे इस डील को लेकर राजनीतिक शोर बढ़ता गया, निप्पॉन स्टील को लगने लगा कि यूनियन सिर्फ बेहतर शर्तें निकालने की कोशिश कर रही है।
डील के आखिरी क्षण और संकट:
31 अगस्त को सीएफआईयूएस ने दोनों कंपनियों को एक 17 पन्नों का पत्र भेजा, जिसमें सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए सिर्फ एक दिन का समय दिया गया। निप्पॉन स्टील के अधिकारियों ने 100 पन्नों का जवाब तैयार किया जिसमें उन्होंने तथ्यों को सुधारने और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने का प्रस्ताव रखा। लेकिन अगले ही दिन खबर आई कि राष्ट्रपति बाइडन इस सौदे को ब्लॉक करने की तैयारी में हैं।
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राजनीतिक माहौल की गलतफहमी:
निप्पॉन स्टील के इस पूरे मामले को भविष्य में एक ‘टेक्स्टबुक केस’ के रूप में देखा जाएगा, कि कैसे एक बड़ी कंपनी राजनीतिक माहौल और नीति निर्माताओं की सोच को ठीक से नहीं समझ पाई। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी बड़ी डील के लिए केवल आर्थिक लाभ ही पर्याप्त नहीं होते, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।