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Dhanteras kab ki hain:धनतेरस कब की है|

Dhanteras kab ki hain:”इस धनतेरस को खास बनाने के 5 अनोखे तरीके जानें! सोना-चांदी की खरीदारी से लेकर पारंपरिक पूजा तक, इन विशेष सुझावों के साथ अपने घर में सुख-समृद्धि का स्वागत करें।”

Dhanteras kab ki hain:धनतेरस कब की है|

Dhanteras kab ki hain:धनतेरस कब की है|

धनतेरस 2024 में 29 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है और इसे दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का पहला दिन माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता हैं, और यह दिन समृद्धि और धन के लिए भी महत्वपूर्ण है

.धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर को दिन में 10:59 बजे से शाम 04:55 बजे तक रहेगा। पूजा का विशेष समय संध्या काल में 06:19 बजे से 08:15 बजे तक निर्धारित किया गया है

धनतेरस, जिसे “धनत्रयोदशी” भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का पहला दिन है और इसे कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस का यह पर्व धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, और इस दिन भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। इस दिन की पौराणिक मान्यताओं, धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक महत्ता का भारतवर्ष में व्यापक महत्व है। आइए, इस दिन से जुड़ी हर जानकारी और मान्यताओं को विस्तार से समझें।

धनतेरस का धार्मिक और पौराणिक महत्व

धनतेरस का पर्व समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता माने जाने वाले भगवान धन्वंतरि को श्रद्धा स्वरूप सोने और चांदी की धातुओं की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन से प्रकट हुए 14 रत्नों में से एक धन्वंतरि थे, और इसी दिन माता लक्ष्मी का भी प्रकट होना हुआ था। इस दिन खरीदारी से धन और स्वास्थ्य के प्रतीक भगवान धन्वंतरि की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक होती है।

शुभता का प्रतीक – सोना और चांदी

धनतेरस पर सोने और चांदी की खरीदारी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। भारतीय संस्कृति में इन धातुओं को धन, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन इन धातुओं की खरीदारी करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।

एक कथा के अनुसार, एक राजकुमार की मृत्यु का योग था। उसकी पत्नी ने सोने और चांदी के गहनों से महल को सजाया, जिससे यमराज को उसकी चमक ने अंधा कर दिया और राजकुमार की जान बच गई। इसी घटना के बाद से धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदने की परंपरा की शुरुआत हुई।

लक्ष्मी और कुबेर की पूजा

धनतेरस पर देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा भी की जाती है। यह माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं, भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं। कुबेर धन के देवता माने जाते हैं, और उनकी पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इन देवताओं की पूजा करने से आर्थिक उन्नति और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

सोने और चांदी के धार्मिक लाभ और वित्तीय महत्व

इस दिन सोना और चांदी खरीदने का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह धातुएं न केवल शुभ मानी जाती हैं, बल्कि उनके निवेश को सुरक्षित भी माना जाता है। सोने और चांदी में दीर्घकालिक मूल्य वृद्धि होती है, जिससे यह एक समझदारी भरा निवेश साबित होता है। साथ ही, सोने और चांदी को आपातकालीन स्थिति में आसानी से नकद में बदला जा सकता है, जो वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।

अन्य शुभ वस्तुएं खरीदने की परंपरा

धनतेरस पर सोने और चांदी के अलावा कुछ अन्य वस्तुओं की भी खरीदारी शुभ मानी जाती है। यहां उन वस्तुओं की सूची है, जो इस दिन खरीदना फलदायी माना जाता है:

क्या न खरीदें धनतेरस पर?

धनतेरस पर कुछ चीजों को खरीदने से परहेज करने की भी परंपरा है। कांच के बर्तन, नुकीली चीजें, तेल, प्लास्टिक, काले कपड़े और जूते इस दिन नहीं खरीदने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ये चीजें दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।

शुभ मुहूर्त और समय

धनतेरस के दिन खरीदारी करने के लिए शुभ मुहूर्त का भी विशेष महत्व होता है। यह माना जाता है कि धनतेरस पर किए गए निवेश, जैसे सोने-चांदी की खरीदारी, परिवार को लाभ प्रदान करते हैं। इस दिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार, विशेष समय पर खरीदारी करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।

कुछ ज्योतिषी मानते हैं कि धनतेरस का पर्व 30 अक्टूबर को मनाना चाहिए, क्योंकि उस दिन उदया तिथि का महत्व होता है। लेकिन अधिकांश स्थानों पर इसे 29 अक्टूबर को ही मनाने की परंपरा है। इसलिए धनतेरस के दिन पूजा और खरीदारी करते समय मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी परंपरा

धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदना धार्मिक कारणों के अलावा आर्थिक दृष्टि से भी समझदारी का निर्णय है। सोने और चांदी का मूल्य समय के साथ बढ़ता है, जिससे यह एक सुरक्षित निवेश साबित होता है। इसके अलावा, इस समय मांग बढ़ने के कारण इन धातुओं की कीमतें भी बढ़ती हैं, जिससे निवेशकों को लाभ होता है। चांदी की कीमतें भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद रहती है, जो इसे औद्योगिक मांग के चलते एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाती है।

निष्कर्ष

धनतेरस का पर्व भारतीय संस्कृति का एक विशेष अंग है। यह दिन न केवल धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं से जुड़ा है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना का प्रतीक भी है। सोना, चांदी, बर्तन और अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी के माध्यम से धनतेरस मनाना, जीवन में सकारात्मकता और आर्थिक स्थिरता लाने का एक माध्यम बन जाता है।

इस प्रकार, धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदने का यह प्राचीन और धार्मिक परंपरा न केवल मन की संतुष्टि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, बल्कि एक समझदारी भरा वित्तीय निवेश भी है।

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