China Shifts Gears in Africa with Green Future Focus at Focac Summit

China Shifts Gears in Africa with Green Future Focus at Focac Summit
China Shifts Gears in Africa

China Shifts Gears in Africa with Green Future Focus at Focac Summit

चीन का अफ्रीका में हरित भविष्य की ओर बढ़ता कदम: विस्तृत विश्लेषण

China Shifts Gears in Africa
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चीन ने हाल ही में अफ्रीका में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को एक नए आयाम पर ले जाने के संकेत दिए हैं, खासकर हरित ऊर्जा और नई तकनीकों के क्षेत्र में। इस दिशा में बड़ा कदम बीजिंग में आयोजित चीन-अफ्रीका सम्मेलन (Forum on China-Africa Co-operation – Focac) के दौरान उठाया गया। इस सम्मेलन ने चीन के अफ्रीका के साथ अपने रिश्तों को नए रूप में पेश किया है, जिसमें हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष जोर दिया गया है।

China Shifts Gears in Africa with Green Future Focus at Focac Summit

चीन का प्रभाव और अफ्रीका में उसकी भूमिका

चीन ने अफ्रीका के विभिन्न देशों के साथ एक सशक्त और प्रभावशाली साझेदारी विकसित की है। जबकि अन्य वैश्विक ताकतें जैसे कि फ्रांस और यूरोपीय संघ के देश अफ्रीका में अपने प्रभाव को घटता हुआ देख रहे हैं, चीन ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। उदाहरण के लिए, रूस के सुरक्षा प्रस्ताव और फ्रांस के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, चीन ने अफ्रीका में एक तटस्थ और सहयोगात्मक भूमिका निभाई है।

चीन-अफ्रीका सम्मेलन (Focac) की प्रमुख बातें

इस साल का Focac सम्मेलन बीजिंग में आयोजित किया गया, जिसमें अफ्रीका के 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन में कई प्रमुख अफ्रीकी नेताओं के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी उपस्थित थे। इस सम्मेलन ने चीन और अफ्रीका के बीच के रिश्तों की नई दिशा को स्पष्ट किया। प्रमुख विषयों में हरित ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और नई तकनीकें शामिल थीं।

China Shifts Gears in Africa with Green Future Focus at Focac Summit

  1. हरित ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन: चीन ने सम्मेलन में हरित ऊर्जा पर जोर दिया और अफ्रीका में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में निवेश का प्रस्ताव रखा। यह कदम अफ्रीका में हरित प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
  2. भारी बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ: चीन ने पहले भी अफ्रीका में भारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का समर्थन किया है। हाल ही में, चीन ने अगले तीन वर्षों के लिए 360 अरब युआन (50.7 अरब डॉलर) की नई फंडिंग की घोषणा की। इसमें 2,000 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन का निर्माण और 600 किलोमीटर रेलवे का निर्माण शामिल है।
  3. परमाणु ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएँ: चीन ने 30 स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं की भी घोषणा की है और परमाणु क्षेत्र में सहयोग की पेशकश की है। यह कदम अफ्रीका के ऊर्जा संकट को हल करने में सहायक हो सकता है, लेकिन इस क्षेत्र में तकनीकी और सुरक्षा संबंधित चुनौतियाँ भी हैं।

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चीन की वित्तीय रणनीतियाँ और उनकी चुनौतियाँ

चीन की आर्थिक सहायता और वित्तीय रणनीतियों को लेकर अफ्रीका में मिश्रित प्रतिक्रिया रही है। कुछ आलोचक यह मानते हैं कि चीन ने अफ्रीकी देशों को अत्यधिक कर्ज के जाल में फंसाया है और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अधिकतर चीनी श्रमिकों को ही नियुक्त किया है। इसके अलावा, बड़ी चीनी कंपनियों के द्वारा अत्यधिक मछली पकड़ने की भी आलोचना की गई है।

हालांकि, चीन की तरफ से अफ्रीकी देशों को कर्ज माफी देने की बजाय वित्तीय सहायता का तरीका अपनाया गया है। इस समय चीन ने 210 अरब युआन (29.6 अरब डॉलर) क्रेडिट लाइनों के रूप में और 70 अरब युआन (9.9 अरब डॉलर) व्यापारिक निवेश के रूप में प्रदान करने की घोषणा की है।

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निष्कर्ष

चीन का अफ्रीका में बढ़ता प्रभाव और हरित ऊर्जा की दिशा में उठाए गए कदम यह दर्शाते हैं कि चीन ने वैश्विक सत्तारूढ़ परिदृश्य में अपनी भूमिका को पुनर्परिभाषित करने का लक्ष्य रखा है। हालाँकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या चीन की नई योजनाएँ अफ्रीका के विकास को वास्तविक और सतत रूप से प्रभावित कर पाएंगी। आने वाले वर्षों में, चीन और अफ्रीका के रिश्ते में इन बदलावों की सच्चाई सामने आएगी और यह तय होगा कि यह साझेदारी दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद साबित होती है या नहीं।

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