SC Ne Kejriwal Ki Bail Par Faisla Rakha Surakshit, CBI Ki Baat Kharij
“सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, सीबीआई की इस दलील को खारिज कर दिया कि जमानत देने से दिल्ली उच्च न्यायालय का अधिकार कमजोर होगा।”
SC Ne Kejriwal Ki Bail Par Faisla Rakha Surakshit, CBI Ki Baat Kharij
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा; सीबीआई के दावे को किया खारिज
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी को रद्द करने के लिए दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। यह मामला आबकारी नीति घोटाले से जुड़ा है, जिसमें केजरीवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने दावा किया था कि जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट का मनोबल गिर सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट की याद दिलाई गई टिप्पणी
कोर्ट ने सीबीआई को मनीष सिसोदिया के मामले में की गई टिप्पणी की याद दिलाई, जिसमें कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट में जाकर जमानत मांगना “सांप-सीढ़ी का खेल खेलने” जैसा होगा। सिसोदिया को जमानत पाने में 17 महीने लगे और उन्हें कोर्ट के विभिन्न स्तरों पर कई बार अपील करनी पड़ी थी।
सीबीआई का दावा और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस उज्जल भुयान और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि सिसोदिया के मामले में दिए गए “सांप-सीढ़ी” वाले बयान को अभियोजन पक्ष के प्रति “सहानुभूतिपूर्ण” टिप्पणी नहीं समझा जाना चाहिए। जमानत देने के पीछे लंबे समय तक कैद, मुकदमे के जल्द पूरा न होने की संभावना और “प्रक्रिया ही सजा बन गई है” जैसे आधार शामिल थे।
SC Ne Kejriwal Ki Bail Par Faisla Rakha Surakshit, CBI Ki Baat Kharij
केजरीवाल की गिरफ्तारी का विवरण
केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार किया गया था और 26 जून को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया। उन्हें 12 जुलाई को ED केस में जमानत मिली थी, लेकिन सीबीआई की गिरफ्तारी के चलते वे जेल से बाहर नहीं आ सके। दिल्ली हाई कोर्ट ने 5 अगस्त को उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए उन्हें ट्रायल कोर्ट में अपील करने को कहा जमानत के लिए।
सीबीआई का तर्क और सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
सीबीआई का तर्क था कि केजरीवाल की जमानत से दिल्ली हाई कोर्ट का मनोबल गिर जाएगा। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने सीबीआई को चेतावनी दी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अंदाजा लगाने की कोशिश न करें। उन्होंने कहा कि जो भी फैसला होगा, वह संस्था के हित में होगा।
सीनियर एडवोकेट सिंघवी की दलीलें
केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि केजरीवाल को पहले भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीन बार जमानत मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को सीबीआई ने तब गिरफ्तार किया जब वह पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई का उन्हें “गैर-सहयोगी” बताना दरअसल उन्हें “गुनाह कबूल” न करने का दोष देना था।
सीबीआई का पक्ष
सीबीआई के वकील ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई थी और इसे कभी भी चुनौती नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल को अभी राहत दी गई तो गवाहों के बयान दर्ज करने में मुश्किलें आ सकती हैं।
निष्कर्ष
अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को जमानत देता है या नहीं। कोर्ट का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या केजरीवाल के मामले में वह आधार मौजूद हैं जो पहले के फैसलों में जमानत देने के लिए महत्वपूर्ण माने गए थे।