quad summit 2024|PM नरेंद्र मोदी|US राष्ट्रपति जो बाइडन|AU,PM एंथनी अल्बनीज|जापानी PM फुमियो किशिदा भी शामिल थे।
quad summit 2024.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की bilateral meeting शनिवार को डेलावेयर के विलमिंगटन में राष्ट्रपति के निवास पर हुई। यह बैठक उस समय हुई जब प्रधानमंत्री मोदी Quad summit में भाग लेने के लिए शहर पहुंचे थे।
इस सम्मेलन में उनके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भी शामिल थे।
quad summit 2024|PM नरेंद्र मोदी|US राष्ट्रपति जो बाइडन|AU,PM एंथनी अल्बनीज|जापानी PM फुमियो किशिदा भी शामिल थे।
राष्ट्रपति बाइडन ने अपने ट्वीट में कहा, “भारत के साथ अमेरिका की strategic partnership आज इतिहास के किसी भी समय से अधिक मजबूत, निकट और गतिशील है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री मोदी की नई areas of cooperation खोजने की क्षमता से वह प्रभावित हैं।
हालांकि, इस द्विपक्षीय बैठक को व्हाइट हाउस ने “व्यक्तिगत बैठक” बताया और इस पर मीडिया को कोई पहुंच नहीं दी गई। भारतीय पक्ष से विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिश्री और अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा उपस्थित थे, जबकि अमेरिकी पक्ष से विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी मौजूद थे।
quad summit 2024|PM नरेंद्र मोदी|US राष्ट्रपति जो बाइडन|AU,PM एंथनी अल्बनीज|जापानी PM फुमियो किशिदा भी शामिल थे।
क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान, नए joint coast guard exercises, कैंसर से लड़ने की एक पहल, और क्वाड फैलोशिप का विस्तार जैसे कई महत्वपूर्ण घोषणाएं होने की संभावना है।
बैठक में रूस और चीन से संबंधित मुद्दे प्रमुखता से उठाए गए। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बताया कि चीन के साथ सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होगी। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भी दोनों देशों के बीच चर्चा हुई, जिसमें राष्ट्रपति बाइडन ने रूस को युद्ध सामग्री की आपूर्ति रोकने पर जोर दिया।
क्वाड कैंसर मूनशॉट परियोजना के तहत कैंसर की जांच, टीकाकरण और उपचार के लिए चारों सदस्य देशों द्वारा सहयोग की घोषणा की जाएगी। Quad fellowship का विस्तार भी इस शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण होगा, जिसमें दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के छात्रों को शामिल किया जाएगा।
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