nagapattinam kankesanthurai ferry service-Digital Newsz 2024

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nagapattinam kankesanthurai ferry service

nagapattinam kankesanthurai ferry service(नागपट्टिनम-कांकेसनथुरई फेरी सेवा )भारत और श्रीलंका के बीच 40 साल बाद फिर से शुरू की गई है। यह फेरी सेवा दोनों देशों के बीच राजनयिक और आर्थिक संबंधों (Diplomatic and Economic Relations) को और अधिक सुदृढ़ करेगी। लंबे समय तक बंद रहने के बाद, इस सेवा को फिर से चालू करना भारत और श्रीलंका के बीच पर्यटन और व्यापार (Tourism and Trade) को प्रोत्साहित करने की एक महत्वपूर्ण पहल है।

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नागपट्टिनम-कांकेसनथुरई फेरी सेवा का पुनः संचालन: भारत और श्रीलंका के रिश्तों में नया अध्याय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने इस पहल का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने इसे भारत-श्रीलंका सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंधों (India-Sri Lanka Cultural and Commercial Ties) का नया अध्याय बताया, जो दोनों देशों के लोगों के बीच न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान (Cultural Exchange) को भी बढ़ावा देगा। इस फेरी सेवा के माध्यम से भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) और समुद्री व्यापार (Maritime Trade) को भी पुनर्जीवित किया जाएगा।

फेरी सेवा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

इस फेरी सेवा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है। यह मार्ग चोल साम्राज्य (Chola Empire) और जाफना साम्राज्य (Jaffna Kingdom) के समय से ही एक प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक मार्ग रहा है। इतिहास में, यह सेवा भारत और श्रीलंका के बीच व्यापारिक संबंधों (Commercial Relations) और सांस्कृतिक संपर्कों (Cultural Links) को जोड़ने का एक प्रमुख माध्यम रही है। इसके माध्यम से दोनों देशों के लोग आसानी से यात्रा और व्यापार कर सकते थे।

1970 के दशक के अंत में इस सेवा को बंद कर दिया गया था, और अब, 2024 में, इसे पुनः चालू कर दिया गया है। अगस्त 2024 से शुरू होकर, इसे IndSri Ferry Services द्वारा प्रबंधित किया जा रहा है। यह फेरी सेवा नागपट्टिनम से कांकेसनथुरई तक 3 घंटे का यात्रा समय तय करती है। यह सेवा वर्तमान में 80 यात्रियों की औसत संख्या के साथ संचालित हो रही है, और इसका उद्देश्य आने वाले समय में इसे और अधिक यात्रियों के लिए बढ़ाना है।

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फेरी सेवा के किराए और सुविधाएं

इस सेवा में यात्रियों को सामान्य और प्रीमियम श्रेणी की सीटें उपलब्ध कराई गई हैं। फेरी टिकट की कीमत (Ferry Ticket Price) सामान्य श्रेणी के लिए ₹5000 और प्रीमियम श्रेणी के लिए ₹7500 रखी गई है। इसके अलावा, यात्रियों को 23 किलो तक का सामान ले जाने की अनुमति है, और इसके बाद प्रति किलो ₹50 का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता है। यात्रियों ने इस सेवा को हवाई यात्रा के मुकाबले सस्ता विकल्प (Affordable Travel Option) बताया है, क्योंकि श्रीलंका से भारत तक हवाई यात्रा की लागत ₹12,000 से ₹16,000 तक होती है, जबकि फेरी सेवा केवल ₹8,600 में उपलब्ध है।

पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा

इस फेरी सेवा के माध्यम से भारत और श्रीलंका के बीच संयुक्त पर्यटन (Joint Tourism) और व्यापार (Trade) को भी बढ़ावा मिलेगा। श्रीलंका के नागरिकों के लिए, यह सेवा भारत के तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों की यात्रा को सरल बनाएगी। इसके अलावा, व्यापारियों ने सुझाव दिया है कि सामान की सीमा (Baggage Allowance) को 100 किलोग्राम तक बढ़ाया जाना चाहिए ताकि इसका लाभ व्यापारी वर्ग को भी मिल सके।

कई व्यापारियों ने इसे व्यापार के लिए अनुकूल सेवा (Business-friendly Service) बताया है, क्योंकि इससे समय और लागत दोनों की बचत होती है। पहले, व्यापारियों को अपने उत्पादों को जहाज या हवाई मार्ग से भेजना पड़ता था, जो महंगा और समय-साध्य था। अब, इस फेरी सेवा के माध्यम से, वे आसानी से भारत और श्रीलंका के बीच अपने उत्पादों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इससे दोनों देशों के बीच आयात और निर्यात (Import and Export) को भी बढ़ावा मिलेगा।

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भारत सरकार की योजनाएं

भारत सरकार इस सेवा को मजबूत करने के लिए कांकेसनथुरई बंदरगाह (Kankesanthurai Port) का विस्तार करने और जाफना इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Jaffna International Airport) की सुविधाओं में सुधार करने की योजना बना रही है। इसके माध्यम से, दोनों देशों के बीच यात्रियों और व्यापारियों के लिए सुविधाओं में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा, दोनों देशों की सरकारें इस सेवा के माध्यम से समुद्री सुरक्षा (Maritime Security) और सीमा पार यात्रा (Cross-border Travel) को सुगम बनाने के लिए भी कदम उठा रही हैं।

श्रीलंकाई तमिल समुदाय की प्रतिक्रिया

श्रीलंकाई तमिल समुदाय (Sri Lankan Tamils) ने भी इस सेवा का स्वागत किया है। तमिल समुदाय के कई सदस्यों ने इसे अपने भारत के साथ भावनात्मक जुड़ाव (Emotional Connection with India) को मजबूत करने का एक अवसर बताया है। एक तमिल शरणार्थी ने कहा कि फेरी सेवा का उपयोग करके उन्होंने पहली बार नागरिकता प्राप्त की और भारत के साथ उनका जुड़ाव और अधिक मजबूत हुआ। इस सेवा के माध्यम से, तमिल समुदाय के लोग अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए आसानी से यात्रा कर सकते हैं, जो पहले काफी मुश्किल था।

मत्स्य समुदाय की चिंताएं

हालांकि, इस सेवा को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं। मत्स्य समुदाय (Fishermen Community) को आशंका है कि इस सेवा के कारण उनके लिए आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां (Economic and Social Challenges) उत्पन्न हो सकती हैं। भारत और श्रीलंका के बीच मछली पकड़ने के क्षेत्र (Fishing Areas) को लेकर संघर्ष पहले से ही जारी है, और फेरी सेवा के कारण यह विवाद और बढ़ सकता है। इसके लिए, दोनों देशों की सरकारें समुद्री सुरक्षा (Marine Security) और सीमा निगरानी (Border Surveillance) को सख्त करने के उपाय कर रही हैं।

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सीमा शुल्क और आव्रजन प्रक्रिया

इस सेवा को सफल बनाने के लिए, दोनों देशों की सरकारें सीमा शुल्क और आव्रजन (Customs and Immigration) प्रक्रिया को भी सरल बनाने की कोशिश कर रही हैं। वर्तमान में, यात्रियों को नागपट्टिनम और कांकेसनथुरई दोनों ही बंदरगाहों पर कड़ी आव्रजन और सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। इसे सरल और सुव्यवस्थित बनाने के लिए, सरकारें वन-स्टॉप कस्टम क्लियरेंस (One-stop Customs Clearance) और ई-वीजा सुविधाएं (E-visa Facilities) प्रदान करने की योजना बना रही हैं।

पर्यटन विकास की संभावनाएं

इस फेरी सेवा के माध्यम से, भारत और श्रीलंका के बीच पर्यटन विकास (Tourism Development) की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। यह सेवा भारतीय और श्रीलंकाई नागरिकों के लिए एक किफायती और सुगम यात्रा विकल्प है, जो उन्हें एक-दूसरे के देश की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों का अनुभव करने का मौका देगा। इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन और आतिथ्य उद्योग (Tourism and Hospitality Industry) को भी बढ़ावा मिलेगा।

आगे की चुनौतियां

इस फेरी सेवा के पुनः संचालन के बावजूद, कुछ चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा उपायों (Security Measures) की है। नागपट्टिनम और कांकेसनथुरई दोनों ही बंदरगाहों पर सुरक्षा प्रबंधों को और सुदृढ़ करने की जरूरत है। इसके अलावा, मौसम की अनिश्चितता (Weather Uncertainty) भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि मानसून के दौरान इस सेवा को रोकना पड़ता है।

इसके अलावा, दोनों देशों के बीच राजनीतिक माहौल (Political Environment) भी इस सेवा की सफलता को प्रभावित कर सकता है। यदि राजनीतिक संबंधों में कोई तनाव उत्पन्न होता है, तो यह फेरी सेवा भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए, दोनों देशों की सरकारों को इस सेवा को राजनीति से परे रखकर, इसे पर्यटन और व्यापार विकास (Tourism and Trade Development) के एक साधन के रूप में देखना चाहिए।

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निष्कर्ष

भारत और श्रीलंका के बीच नागपट्टिनम-कांकेसनथुरई फेरी सेवा का पुनः संचालन दोनों देशों के बीच राजनयिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों (Diplomatic, Cultural, and Economic Relations) को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सेवा न केवल यात्रियों और व्यापारियों के लिए एक नया विकल्प प्रदान करेगी, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक विकास (Economic Development) और सांस्कृतिक जुड़ाव (Cultural Connection) को भी बढ़ावा देगी।

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