Dipawali kab ki hain|दीपावली कब की है?
Dipawali kab ki hain|जानिए इस वर्ष दीपावली कब है और क्यों मनाई जाती है। जानें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के पौराणिक महत्व, तिथियाँ और परंपराएँ।
Table of Contents
ToggleDipawali kab ki hain|दीपावली कब की है?
दीपावली: पौराणिक महत्व, परंपराएँ और पाँच दिवसीय उत्सव
भूमिका: भारत का सबसे प्रमुख और भव्य पर्व, दीपावली, जिसे “दिवाली” के नाम से भी जाना जाता है, न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है बल्कि समृद्धि, खुशहाली और भाईचारे का त्योहार भी है। इस वर्ष 2024 में दीपावली का उत्सव 31 अक्टूबर से शुरू होकर 3 नवंबर तक चलेगा। कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व पूरे पाँच दिनों में विभाजित है, जिसमें हर दिन का अपना अलग पौराणिक महत्व, रीति-रिवाज और परंपराएँ हैं।
दीपावली के पाँच दिन और उनका महत्व:
- धनतेरस (29 अक्टूबर 2024):
धनतेरस का पर्व दीपावली का पहला दिन है। इस दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है, जिन्हें आयुर्वेद के देवता माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इस दिन विशेष रूप से सोने, चांदी या बर्तनों की खरीदारी की परंपरा होती है, जिसे स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यह मान्यता है कि इस दिन कुछ नया खरीदने से घर में संपन्नता और सुख-शांति का वास होता है।
- नरक चतुर्दशी (30 अक्टूबर 2024):
इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है और इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान किया जाता है, जिसे “नरक स्नान” कहते हैं। इस स्नान के दौरान तिल के तेल से मालिश की जाती है, जिससे माना जाता है कि व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। इस दिन घर की विशेष सफाई भी की जाती है और दक्षिण दिशा में दीप जलाना शुभ माना जाता है, जिससे नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। लोग इस दिन यमराज और भगवान कृष्ण की पूजा भी करते हैं।
- बड़ी दीपावली (31 अक्टूबर 2024):
दीपावली का मुख्य दिन लक्ष्मी पूजन का होता है। इस दिन देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और सुंदर दीपों से सजाते हैं। व्यापारिक घरानों में बही-खातों की पूजा का विशेष महत्व होता है। दीप जलाने की परंपरा भगवान राम के अयोध्या लौटने की कहानी से जुड़ी हुई है, जब रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम अपने नगर लौटे थे। दीपों की इस सुंदर रात्रि में लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ देते हैं और घर-घर में खुशियाँ मनाई जाती हैं। इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5:36 से रात 8:11 बजे के बीच है, जिसमें देवी लक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है।
- गोवर्धन पूजा (2 नवंबर 2024):
गोवर्धन पूजा का पर्व भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा हुआ है। यह दिन उस घटना को याद करने के लिए मनाया जाता है जब भगवान कृष्ण ने गोकुलवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। लोग इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और अन्नकूट का आयोजन करते हैं। इस अनुष्ठान के तहत घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है, जिसमें विविध प्रकार के व्यंजनों को भगवान के समक्ष अर्पित किया जाता है।
- भाई दूज (3 नवंबर 2024):
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मनाने का दिन है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर भोजन करने गए थे। यमुनाजी ने अपने भाई का तिलक कर उनका स्वागत किया और भाई की लंबी आयु की कामना की। इसी के प्रतीक के रूप में भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं, उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उन्हें आदर-सम्मान देते हैं।
धार्मिक अनुष्ठान और परंपराएँ:
दीपावली के प्रत्येक दिन में धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है। इस पर्व के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों और परंपराओं में देवी-देवताओं की पूजा, दीप जलाना, घर की सफाई और रंगोली बनाना शामिल है। इस उत्सव में की जाने वाली मुख्य परंपराएँ निम्नलिखित हैं:
- स्नान और उबटन:
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले तिल के तेल से मालिश कर स्नान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे “नरक स्नान” कहा जाता है, जिससे शरीर के पाप धुल जाते हैं और शुभता का संचार होता है।
- घर की सफाई और सजावट:
लक्ष्मी पूजन के लिए घर की विशेष सफाई की जाती है। इस दिन घर को सुंदर रंगोली से सजाना और दीप जलाना देवी लक्ष्मी का स्वागत करने का प्रतीक है। घर में सभी टूटे-फूटे और अनावश्यक सामान को निकालना आवश्यक माना जाता है।
- दीप जलाना:
हर दिन विशेष रूप से दीप जलाने की परंपरा है। विशेषकर नरक चतुर्दशी के दिन 14 दीप जलाए जाते हैं और बड़ी दीपावली के दिन घर-घर में दीपों की रोशनी की जाती है।
- विशेष भोजन:
इन पांच दिनों में विभिन्न विशेष पकवान बनाए जाते हैं। दीपावली के मुख्य दिन पर मिठाइयाँ, अन्नकूट के दिन विशेष व्यंजन और भाई दूज पर भी भाई के लिए विशेष पकवान बनाए जाते हैं।
- यमराज की पूजा:
नरक चतुर्दशी पर यमराज के लिए दक्षिण दिशा में दीप जलाने की परंपरा है। यह माना जाता है कि इस अनुष्ठान से यमराज की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।
वर्जित कार्य (निषेध):
दीपावली के इन पाँच दिनों के दौरान कुछ कार्यों को वर्जित भी माना गया है, जैसे किसी भी जीव की हिंसा न करना, मांसाहार का सेवन न करना, घर की दक्षिण दिशा को गंदा न रखना, और तेल का दान न करना। इन वर्जित कार्यों का पालन करने से देवी लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
दीपावली का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:
दीपावली का पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पर्व के दौरान लोग अपने परिवारों के साथ समय बिताते हैं, एक-दूसरे को उपहार देते हैं, और समाज में खुशहाली का संदेश फैलाते हैं। व्यापारी वर्ग के लिए यह पर्व नववर्ष की तरह होता है और इस दिन नई शुरुआत करने के प्रतीक के रूप में बही-खातों की पूजा की जाती है।
दीपावली और पर्यावरण:
आजकल दीपावली मनाने का तरीका बदल गया है। प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के कारण इस पर्व को हरित तरीके से मनाने पर जोर दिया जा रहा है। लोग अब परंपरागत दीयों का उपयोग करके पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं।
निष्कर्ष:
दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्धि, आध्यात्मिकता और सामाजिकता को दर्शाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का प्रतीक है, बल्कि समाज में खुशहाली, एकता और प्रेम को भी बढ़ावा देता है। इसके हर दिन की अपनी विशेष मान्यता और परंपराएँ हैं, जो इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण और अद्वितीय बनाती हैं। इस दीपावली, आइए हम सभी मिलकर पर्यावरण का ध्यान रखते हुए, इसे हरित दीपावली बनाएं और अपने परिवारों के साथ प्रेम और समृद्धि का उत्सव मनाएँ।
15 Foods to Eat for High Blood Pressure|जानें कौन से आहार नियंत्रित कर सकते हैं रक्तचाप
Open Elective Economic 2024-25
epravesh ba list I Year Open Elective Economic 2024-25
AGARO Supreme High-Pressure Washer, Car Washer
व्यावहारिक, आकर्षक और विश्वसनीय समाचारों के लिए अग्रणी डिजिटल स्रोत बनना। हम एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो न केवल जानकारी प्रदान करे बल्कि दुनिया भर में हमारे पाठकों को जोड़े और सशक्त बनाए।
Leave a Reply